वेद भारत के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं और भारत के ही नहीं वरन् समूचे विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं जो साफ-सुथरी भाषा में लिखे गए हैं। वेद में कौन-सा ज्ञान भरा है, इस विषय में जानने की लालसा सभी हिन्दुओं को रहती है। कुछ लोग उन्हें ईश्वरीय ज्ञान कहते हैं। एक तरह से हम यह कह सकते हैं कि जब दस-पन्द्रह हजार वर्ष पूर्व पूरी पृथ्वी हिंसक वन मानुषों से भरी थी, तब अवश्य ही भारत के सहनशील आदिम मनुष्य जाति को देख परमेश्वर की यह महान कृपा रही होगी कि उन्होंने इस आर्य जाति को इतने ऊँचे ज्ञान के लिए चुना, जैसे आज पाश्चात्य देशों को विज्ञान के लिए चुना गया है। ऐसा लगता है कि मनुष्य जितनी ऊँची प्रतिभा अपने भीतर चमका लेता है, परमेश्वर की ओर से उतने ही ज्ञान का वह अधिकारी बन जाता है। वेदों में समूची सृष्टि के संबंध में प्रकाश डाला गया है। मनुष्य कैसे पृथ्वी पर आया, कहां से आया और कब आया, कब तक वह यहां रहेगा, फिर उसका अगला विकास कहां-कैसे होगा और किसकी निगरानी में यह सब कार्य हो रहा है, इन अत्यन्त गूढ़ विषयों को इस पुस्तक में बहुत ही सरल ढंग से समझाया गया है।