'हार नहीं मानूँगा' श्री त्यागी जी की एक शानदार प्रेरणादायक पुस्तक है जिसमें उन्होंने देश के सात योद्धाओं की वीर गाथा का वर्णन किया गया है।यह सात योद्धा दिव्यांग होने के बावजुद किस प्रकार अपने जीवन में नित नवीन उपलब्धियों को प्राप्त करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं, त्यागी जी ने इस पुस्तक में इसका विस्तृत व सुंदर वर्णन किया है। साथ ही यह पुस्तक सरकार से एक गुहार भी लगाती है कि दिव्यांगों के लिए संवेदनशील नज़रिया रखें और उनको एक सामान्य नागरिक की तरह अपनाने के लिए कुछ नियम व सुविधाएँ भी प्रदान करें। यह पुस्तक पाठको के मन में एक स्थान अवश्य बना लेगी।लेखक का परिचय
प्रोफेसर त्यागी के पास बी.एससी. के साथ दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, रक्षा अध्ययन और राजनीति विज्ञान में परास्नातक डिग्रियां हैं। इसके अलावा, उनके पास एलएलबी, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री और विभिन्न क्षेत्रों में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी हैं। भारतीय सेना में उनका कार्यकाल छोटा लेकिन उत्कृष्ट रहा, जहां उन्हें दो बार सेना प्रमुख द्वारा प्रशस्ति पत्र मिला। औद्योगिक सुरक्षा प्रबंधन में उन्हें चार दशकों का अनुभव है, और उन्होंने गेल (इंडिया) लिमिटेड में सुरक्षा प्रमुख के रूप में कार्य किया। वह ""इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी एंड सेफ्टी"" के सह-संस्थापक और वर्तमान में इसके मुख्य पार्षद हैं। प्रोफेसर त्यागी ने 37 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में प्रस्तुतियाँ दी हैं और कई प्रमुख पत्रिकाओं और इंटरनेट साइट्स पर लेख प्रकाशित किए हैं।