प्रस्तुत शीर्षक 'बुद्ध अथवा कार्ल मार्क्स' से ऐसा आभास होता है कि यह इन दोनों व्यक्तियों के बीच समानता को बताने वाला है या विषमता को दर्शाने वाला है। इन दोनों के बीच समय का बहुत बड़ा अंतराल है। उनके विचार क्षेत्र भी अलग-अलग हैं। अतः इस शीर्षक का अजीब सा प्रतीत होना अवश्यंभावी है। मार्क्सवादी इस पर आसानी से हंस सकते हैं और मार्क्स तथा बुद्ध को एक समान स्तर पर लाने का मजाक व हंसी उड़ा सकते हैं। मार्क्स बहुत आधुनिक और बुद्ध बहुत पुरातन हैं। मार्क्सवादी यह कह सकते हैं कि उनके गुण की तुलना में बुद्ध केवल आदिम व अपरिष्कृत ही ठहर सकते हैं। फिर, दो व्यक्तियों के बीच क्या समानता या तुलना हो सकती है? एक मार्क्सवादी बुद्ध से क्या सीख सकता है? बुद्ध एक मार्क्सवादी को क्या शिक्षा दे सकते हैं? ऐसे ही गूढ़ रहस्यों का वर्णन इस पुस्तक में विस्तार से किया गया है।
By:
Dr Bhimrao Ambedkar Imprint: Blurb Dimensions:
Height: 203mm,
Width: 127mm,
Spine: 3mm
Weight: 59g ISBN:9781715341091 ISBN 10: 1715341090 Pages: 52 Publication Date:20 March 2024 Audience:
General/trade
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ELT Advanced
Format:Paperback Publisher's Status: Active