""धर्म, आत्मा और ईश्वर"" में स्वामी अनंत मैत्रेय ने धर्म, आत्मा और ईश्वर के बीच के गहरे संबंधों की विस्तृत विवेचना की है। यह पुस्तक आध्यात्मिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से धर्म, आत्मा और ईश्वर के महत्व को स्पष्ट करती है। लेखक ने सरल और स्पष्ट भाषा में इन उच्चतम अवधारणाओं का विश्लेषण किया है, जिससे पाठक इन्हें अपने जीवन में आसानी से समझ और लागू कर सकें।
इस पुस्तक में स्वामी अनंत मैत्रेय धर्म को न केवल एक मार्ग बल्कि एक लक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं, और आत्मज्ञान को प्राप्त करने के लिए आवश्यक आत्म-संवाद की प्रक्रिया पर जोर देते हैं। लेखक का मानना है कि धर्म, आत्मा और ईश्वर का ज्ञान अंतर्निहित शांति और स्थायी सुख की ओर ले जाता है, जो अंततः आत्मज्ञान की प्राप्ति के रूप में प्रकट होता है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि आत्मा और ईश्वर का साक्षात्कार तभी संभव है जब मनुष्य अपने मन का गहन अवलोकन करता है और अपने भीतर के डर, अहंकार और अन्य विकारों से मुक्ति पाता है। स्वामी अनंत मैत्रेय ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया है कि आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए मनुष्य को अपने भीतर का ""घर"" याद दिलाना जरूरी है और धर्म वही रास्ता है जो इस घर तक पहुँचने में सहायक होता है।
""धर्म, आत्मा और ईश्वर"" एक मार्गदर्शक पुस्तक है, जो न केवल आत्मज्ञान के सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है, बल्कि यह पाठकों को आत्म-खोज और आत्म-उन्नति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी करती है।
मुख्य विशेषताएँधर्म, आत्मा और ईश्वर के गहरे सिद्धांतों का स्पष्ट विश्लेषण आत्मज्ञान और आत्म-संवाद की प्रक्रिया की समझ आध्यात्मिक विकास के लिए मार्गदर्शन सरल और सुलभ भाषा